मुंबई – महाराष्ट्र – भारत अप्रैल 18 , 2013 अपराह्न 02.35
… क्या दुःख है, समंदर को बता भी नहीं सकता
आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता
तू छोड़ रहा है, तो ख़ता इसमें तेरी क्या
हर शख़्स मेरा साथ, निभा भी नहीं सकता
प्यासे रहे जाते हैं जमाने के सवालात
किसके लिए ज़िन्दा हूँ, बता भी नहीं सकता
घर ढूँढ रहे हैं मेरा , रातों के पुजारी
मैं हूँ कि चराग़ों को बुझा भी नहीं सकता
वैसे तो एक आँसू ही बहा के मुझे ले जाए
ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता…
………………………वसीम बरेलवी………………………
Facebook के सौजन्य से – ग़ज़ल
विदुर
मुंबई – महाराष्ट्र – भारत
www.facebook.com/VidursKreatingCharacters
www.facebook.com/vidur.chaturvedi